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Thursday, January 30, 2025

ये दर्द है की सब कुछ भूला देता है

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ये  दर्द  है  की  सब  कुछ  भूला  देता  है 
जख्मों  को  भी  सीना  सीखा  देता  है
जो  सीख  ले  जीना  इन  पलों  को 
जिंदगी की राह मे वो तबस्सुम  खिला देता है  


तेरे संग मुझे सहारा मिल जाता है 
जैसे सफीने को किनारा मिल जाता है
तुझसे मिलते ही बंज़र जिंदगी  मे  मेरी 
मानो जैसे  गुलिस्तां  खिल  जाता  है 


 
  

Tuesday, January 28, 2025

अंधेरे की ओट मे ये जो दिया जलता है

अंधेरे  की  ओट  मे,  ये  जो  दीया जलता  है

दुनिया को रोशन करने की चाह मे खुद को वो छलता है

नजाने  किस  भ्रम  मे  वो  रखता  है  खुद  को 

जल  कर  खुद  कतरा  कतरा  पिघलता  है


  

Monday, January 27, 2025

इंसानियत को परखने के लिए बदन का लिबास नहीं देखा जाता

 घर पर आये मुसाफिर को खाली हाथ नहीं भेजा जाता

सौदों  मे  हर  बार  स्वार्थ  नहीं  देखा  जाता

ज़िंदगी की राह पर मुसाफिर मिल ही जाते है

इंसानियत को परखने के लिए बदन का लिबास नहीं देखा जाता.

घर पर आये मुसाफिर को खाली हाथ नहीं भेजा जाता  सौदों मे हर बार स्वार्थ नहीं देखा जाता
https://draft.blogger.com/blog/post/edit/3204513329264443755/4287435210650540058


Sunday, January 19, 2025

जख्म पर मरहम का लेप लगाने वाले

नहीं मिलता यां कोई गम समेटने के लिए

बैठे रहते है, सब दर्द ए गम बेचने के लिए

जख्म पर मरहम का लेप लगाने वाले 

अक़्सर होते है खरीददार यहाँ उन जख्मों को सींचने के लिए

अपने दर्द की आजमाइश न कर

अपने दर्द की आजमाइश न कर

हालातों की लिए फरमाइश न कर

लूट लेंगे कश्ती तेरे अपने ही

अब अपने दर्द  की और नुमाइश न कर

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