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Wednesday, June 4, 2025

शुरुआती दौर में, निकला था, कारवाँ लेकर

1.

सफर में चलते चलते थक गया हूँ मैं, 

नाजाने मंज़िल का अंत कहाँ पर है। 

शुरुआती दौर में, निकला था, कारवाँ लेकर

लेकिन अब खुद में ही सिमट गया हूँ मैं,


2.

सफर में कोई अपना मिल, जाये तो अच्छा है।

थाम ले हाथ जो अपना,  मुसाफिर वो सच्चा है।

कहने को विरासत में, सबको दुनिया मिलती है।

इस दुनिया के रंग में जो,  ढल जाये वो अच्छा है। 

 3.

मोहब्बत के सफर में जो, मुसाफिर टिक न पाया है 

अदने से सफर मे, उसने फ़क़त दर्द ही पाया है

इल्लत थी सदा, उसको मुस्कुराने की  

इल्तिफ़ात (मित्रता) ने उसको बे ज़ेर (निर्धन) बनाया है। 

4. 

हर गलती पर आँसू बहाना अपराध है 

हर बार इल्ज़ाम दूसरों पर लगाना अपराध है

जो न समझे अहमियत रिश्तों की

उस रिश्ते को निष्कर्ष तक ले जाना अपराध है।

5. 

बेमतलब कौन किसको याद करता है 

बेमतलब कौन किस से बात करता है

यहाँ स्वार्थ का मुखौटा ओढ़े बैठे है सब

वरना कौन पत्थर को खुदा मान फरियाद करता है 

6. 

पत्थर अगर, खुदा बन जाये तो अच्छा है 

पत्थर अगर, जीने की कला सीखा जाये तो अच्छा है

राह के पत्थर को तुच्छ समझने वालों को 

अगर चोट मारकार तरासा जाये तो अच्छा है। 

7. 

तुमसे उम्मीद जो हमने लगाई है 

बड़ा आसान करना, बेवफाई है 

निभाओगी वफ़ा इस जमाने मे तुम, ये भ्रम पाला था हमने

लेकिन तनहाई फ़क़त मेरे हिस्से मे आई है।

8. 

सच कहने से क्यों इतना डरते है लोग

क्यों मौका परस्त अक्सर बनते है लोग 

चढ़ा कर मुखौटा चेहरे पर अपने

क्यों गिरगिट जैसा रंग बदलते है लोग। 

9. 

सलीका जीने का जो हमको सिखाने आए थे

जख्म को वो हमारे सहलाने आए थे 

आदत थी हमको भी मुस्कुराने की 

और वो हमदर्द बनकर हमको रुलाने आए थे। 

10. 

कोई मेरे सफर का मुसाफिर बन जाए तो अच्छा है 

तन्हा सफर संग उसके कट जाये तो अच्छा है 

गुजरने को ज़िंदगी पूरी कट ही जाती है।

लेकिन अनजाने सफर में कोई अपना बन जाये तो अच्छा है।

11. 

सलीका जीने का जो भूल गए है

जीवन की पगडंडियो में वो झूल गए है

जो करता है सौदा अपने ईमान का

ज़िंदगी के उसूलों को वो भूल गए है।

12. 

कुछ गिरे हुए लोग मुझे गिराने आए थे

जिस कश्ती मे बैठे है उसे डुबाने आए थे

जिसने सिखाया था सलीका चलने का रास्तों मे

शतरंज की चाले उसी पर आज़माने आए थे।

13. 

सफर मे कोई अपना मिल, जाये तो अच्छा है

थाम ले हाथ जो अपना, मुसाफिर वो सच्चा है

कहने को विरासत में सबको दुनिया मिलती है

इस दुनिया के रंग मे जो, ढाल जाए वो अच्छा है। 

14. 

सफर मे चलते चलते थक गया हूँ मैं

नजाने मंज़िल का अंत कहाँ पर है

शुरुआती दौर में निकला था कारवां लेकर

लेकिन अब खुद में ही सिमट गया हूँ, मैं             

भूपेंद्र रावत 


 


Thursday, January 30, 2025

ये दर्द है की सब कुछ भूला देता है

1
ये  दर्द  है  की  सब  कुछ  भूला  देता  है 
जख्मों  को  भी  सीना  सीखा  देता  है
जो  सीख  ले  जीना  इन  पलों  को 
जिंदगी की राह मे वो तबस्सुम  खिला देता है  


तेरे संग मुझे सहारा मिल जाता है 
जैसे सफीने को किनारा मिल जाता है
तुझसे मिलते ही बंज़र जिंदगी  मे  मेरी 
मानो जैसे  गुलिस्तां  खिल  जाता  है 


 
  

Tuesday, January 28, 2025

अंधेरे की ओट मे ये जो दिया जलता है

अंधेरे  की  ओट  मे,  ये  जो  दीया जलता  है

दुनिया को रोशन करने की चाह मे खुद को वो छलता है

नजाने  किस  भ्रम  मे  वो  रखता  है  खुद  को 

जल  कर  खुद  कतरा  कतरा  पिघलता  है


  

Monday, January 27, 2025

इंसानियत को परखने के लिए बदन का लिबास नहीं देखा जाता

 घर पर आये मुसाफिर को खाली हाथ नहीं भेजा जाता

सौदों  मे  हर  बार  स्वार्थ  नहीं  देखा  जाता

ज़िंदगी की राह पर मुसाफिर मिल ही जाते है

इंसानियत को परखने के लिए बदन का लिबास नहीं देखा जाता.

घर पर आये मुसाफिर को खाली हाथ नहीं भेजा जाता  सौदों मे हर बार स्वार्थ नहीं देखा जाता
https://draft.blogger.com/blog/post/edit/3204513329264443755/4287435210650540058


Sunday, January 19, 2025

जख्म पर मरहम का लेप लगाने वाले

नहीं मिलता यां कोई गम समेटने के लिए

बैठे रहते है, सब दर्द ए गम बेचने के लिए

जख्म पर मरहम का लेप लगाने वाले 

अक़्सर होते है खरीददार यहाँ उन जख्मों को सींचने के लिए

अपने दर्द की आजमाइश न कर

अपने दर्द की आजमाइश न कर

हालातों की लिए फरमाइश न कर

लूट लेंगे कश्ती तेरे अपने ही

अब अपने दर्द  की और नुमाइश न कर

दिव्यांगता (Divyangta) का अर्थ और भारतीय कानून के अनुसार इसके प्रकार

दिव्यांगता (Divyangta) का अर्थ और भारतीय कानून के अनुसार इसके प्रकार  दिव्यांगता (Divyangta) का अर्थ है—किसी व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक, बौद...