आज के दौर में शिक्षा का स्तर जितना ऊपर जा रहा है, उतना ही छात्रों पर दबाव भी बढ़ता जा रहा है। यह दबाव धीरे-धीरे मानसिक बोझ और फिर तनाव का रूप ले लेता है। छात्र जीवन, जो कभी सीखने और खेलने का समय माना जाता था, अब चिंता और प्रतिस्पर्धा से भर गया है।
तनाव क्या है?
तनाव एक मानसिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति चिंता, भय, असहजता या दबाव महसूस करता है। जब कोई छात्र पढ़ाई, परीक्षा, भविष्य या सामाजिक अपेक्षाओं को लेकर मानसिक रूप से असहज हो जाता है, तो वह तनाव का शिकार हो सकता है।
छात्रों में तनाव के मुख्य कारण
- पढ़ाई और परीक्षा का दबाव
- अच्छे अंक लाने की होड़
- फेल होने या पिछड़ने का डर
भविष्य को लेकर अनिश्चितता
- कौन-सा विषय चुनें?
- करियर कैसे बनेगा?
माता-पिता और समाज की अपेक्षाएँ
- "तुम्हें टॉप करना है" जैसी बातें
- दूसरों से तुलना करना
एकाकीपन और संवाद की कमी
- अपनी भावनाओं को किसी से साझा न कर पाना
- दोस्ती में समस्याएं
डिजिटल लाइफ और सोशल मीडिया
- दूसरों की सफलता देखकर खुद को छोटा महसूस करना
- नींद की कमी और ध्यान भटकाव
तनाव के लक्षण
- चिड़चिड़ापन
- सिर दर्द या नींद न आना
- पढ़ाई में मन न लगना
- आत्मविश्वास की कमी
- अकेले रहना पसंद करना
तनाव से निपटने के उपाय
- समय का सही प्रबंधन करें – टाइम टेबल बनाएं और आराम को भी जगह दें।
- योग और ध्यान करें – रोज़ाना कुछ समय खुद के लिए निकालें।
- माता-पिता या दोस्तों से बात करें – मन हल्का होता है।
- सोशल मीडिया का सीमित उपयोग करें – वर्चुअल दुनिया से दूरी रखें।
- परिणाम से ज्यादा प्रयास पर ध्यान दें – मेहनत कीजिए, फल अपने आप आएगा।
निष्कर्ष
छात्रों में तनाव एक गंभीर समस्या है, लेकिन यह असंभव नहीं कि इससे निपटा जाए। ज़रूरत है समझदारी, सहयोग और आत्मविश्वास की। अभिभावकों, शिक्षकों और समाज को मिलकर एक ऐसा वातावरण बनाना होगा जहाँ छात्र खुलकर साँस ले सकें, अपने सपनों को जी सकें — बिना तनाव, बिना डर के।
भूपेंद्र रावत