Showing posts with label ग़ज़ल. Show all posts
Showing posts with label ग़ज़ल. Show all posts

Tuesday, February 4, 2025

मैंने इंसानी लिबास मे शैतान देखें है

मैंने इंसानी लिबास मे शैतान देखें है

इंसान नहीं मैंने तो हैवान देखें है


डगमगाता रहा ईमान इंसानों का

इंसानी वेश भूषा मे बेमान देखें है


लूट रहा है इंसान ही बस्ती इंसानों की

इन्सानों से ही मैंने इंसान पशेमान देखें है


ढूंढ रहा था कूँचों मे भगवान को

दैर-ओ-हरम के नाम पर मैंने श्मशान देखें है


कौन करेगा पछतावा अपने कर्मों का

इबादत पर ही होते मैंने इंतेकाम देखें है


इल्म है उस्तादों को, इबादत का

उन काजी के हाथों मे मैंने जंगी समान देखें है


लिबास ओढ़े खुतबा दे रहे थे खुदा पर, “भूपेंद्र” जो

जुबां से मैंने उनकी, निकलते खूनी फरमान देखें है


Friday, January 24, 2025

उलझा हूँ,जिंदगी की हर एक गुत्थियाँ सुलझाने मे

उलझा हूँ,जिंदगी की हर एक गुत्थियाँ सुलझाने मे 

जब  से  दस्तक   दी   है  दर्द  ने  मेरे  सिराने  मे 


बड़ी   मशक्कत   से   पाला   था   मैंने   एक   भ्रम 

ठोकरों ने बताया ,कोई नहीं होता अपना इस जमाने मे 


दोस्ती इतनी अच्छी भी नहीं कि भूल बैठो खुद को 

दोस्त ही वार करता है,पीछे से जख्म को सहलाने मे 


बेस्वार्थ  प्यार  कि   डोर  से    जुड़ी   हुई है,   माँ 

वरना सवार्थ कि डोर से जुड़ा है, हर रिश्ता जमाने मे


माँ की गोद ने भूला दिया जहाँ के दर्द को 

कोई  जादू  हो  जैसे  माँ  के  सिराने  मे  


भूपेंद्र रावत 

Wednesday, January 22, 2025

एक अज़नबी जो मिल के गया

 एक अज़नबी जो  मिल के   गया

मुरझाया फूल, फिर खिल सा गया


दिल  लगाने की  कला मे माहिर  है, वो

मिला तो, जैसे मिश्री जैसा घुल सा गया



गुलाब  के खिले  हुए काँटों को

उस  राह  मे  मसल  सा  गया


गुजरा जिस राह से वो मुसाफिर 

चश्म - ए - चराग़ जल सा गया


पाकीज़ा पैगाम लेकर आया है,अज़नबी

अपरिचित,चश्म-ओ-चिराग़  बन सा गया


भूपेंद्र रावत

दिव्यांगता (Divyangta) का अर्थ और भारतीय कानून के अनुसार इसके प्रकार

दिव्यांगता (Divyangta) का अर्थ और भारतीय कानून के अनुसार इसके प्रकार  दिव्यांगता (Divyangta) का अर्थ है—किसी व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक, बौद...