Friday, October 3, 2025

फ़्रांस की क्रांति की कहानी

 बहुत समय पहले की बात है। एक देश था फ़्रांस, जहाँ एक राजा रहते थे—राजा लुइस और उनकी रानी मैरी। राजा और उनका परिवार ऐशो-आराम की ज़िंदगी जीते थे। वे शानदार महलों में रहते, सोने-चाँदी के बर्तन इस्तेमाल करते और स्वादिष्ट भोजन करते।

लेकिन फ़्रांस का समाज तीन हिस्सों में बँटा हुआ था—

पहला हिस्सा: पादरी (धार्मिक नेता), जिन्हें विशेष अधिकार थे और कर नहीं देना पड़ता था।

दूसरा हिस्सा: जागीरदार और रईस लोग, जिनके पास बहुत सी जमीन और दौलत थी।

तीसरा हिस्सा: आम लोग—किसान, मजदूर, व्यापारी और कारीगर।

सबसे ज्यादा मेहनत यही आम लोग करते थे, लेकिन सबसे ज्यादा बोझ भी इन्हीं पर डाला जाता। उन्हें तरह-तरह के कर चुकाने पड़ते। उनकी ज़िंदगी मुश्किल और दुखों से भरी थी।

इन्हीं आम लोगों में से एक किसान था पियरे। वह खेतों में दिन-रात मेहनत करता, लेकिन घर में खाने के लिए रोटी भी मुश्किल से मिलती। उसकी बेटी अक्सर पूछती—

“पापा, हमारे पास रोटी क्यों नहीं है?”

पियरे दुखी होकर कहता—

“बेटी, राजा और अमीर लोग हमारा सारा अनाज और पैसा ले जाते हैं।”


पियरे जैसे हज़ारों लोग परेशान थे, लेकिन डर के कारण कोई आवाज नहीं उठाता था। जो भी राजा के खिलाफ बोलता, उसे कठोर सजा दी जाती—यहाँ तक कि मौत!


फिर एक दिन, कुछ पढ़े-लिखे लोग आगे आए। उनमें से एक था जॉन। उसने सबको इकट्ठा कर कहा—

“हम सब ईश्वर की संतान हैं। कोई बड़ा या छोटा नहीं होता। सब बराबर हैं। हमें समान अधिकार मिलने चाहिए।”


यह सुनकर लोगों के दिलों में हिम्मत जागी। धीरे-धीरे सबने आवाज उठानी शुरू की। वे चिल्लाने लगे—

“समानता चाहिए! आज़ादी चाहिए!”


पूरा फ़्रांस गूंजने लगा। लोग राजा की नाइंसाफी के खिलाफ सड़कों पर उतर आए। लेकिन राजा लुइस और रानी मैरी ने उनकी बातें नहीं मानीं। इससे जनता और नाराज़ हो गई।


आखिरकार, एक दिन हजारों लोग राजा के महल की ओर बढ़े। पियरे भी उनमें शामिल था। गुस्से से भरी जनता ने महल के दरवाज़े तोड़ दिए। यही थी फ़्रांस की महान क्रांति की शुरुआत।


यह केवल विद्रोह नहीं था, बल्कि एक बदलाव की धारा थी। इसने पूरी दुनिया को सिखाया कि—


हर इंसान बराबर है।

सबको स्वतंत्रता मिलनी चाहिए।

और भाईचारे से रहना चाहिए।


क्रांति के बाद फ़्रांस में नया संविधान बना, जिसमें सभी लोगों के अधिकारों और आज़ादी की रक्षा की गई। अब कोई अकेला शासक लोगों पर अत्याचार नहीं कर सकता था।


और जब यह बदलाव आया, तो पियरे ने अपनी बेटी से कहा—

“बेटी, देखो! अब हमारे पास भी रोटी होगी, और हम सब बराबर होंगे।”


बच्चों, यही है फ़्रांस की क्रांति की कहानी—अन्याय के खिलाफ खड़े होने और समानता, स्वतंत्रता और भाईचारे के लिए संघर्ष की कहानी।


भूपेंद्र रावत 

संजय गांधी स्कूल लाडवा, कुरुक्षेत्र 

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