जीत गए नेता जी चुनाव में
जीत गए नेता जी चुनाव में,
ढोल-नगाड़ों की थाप में,
नारे गूंजे, झंडे लहराए,
उम्मीदों के दीप जलाए।
बदलते आंकड़ों के संग
बदलते चेहरों की मुस्कान,
जनता सुनती रही हर बार,
मंचो से वादों की बौछार।
और अंत में...
शेष रह गए झूठे वादे, और खोखली बाते
मतदाताओं की, टूटती उम्मीदें
सड़कें वहीं, गड्ढे वहीं,
बस चुनावों में भर दिए गए काग़ज़ी गड्डे।
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