Friday, April 25, 2025

मेरी हर सांस की, माँ शुरुआत हो तुम

 मैं जो भी हूँ, जहाँ भी हूँ 

उसकी बुनियाद हो तुम

मेरी हर सांस की, 

माँ शुरुआत हो तुम


माँ, तुम्हारी अंगुली पकड़ कर मैने पहली बार चलना सीखा

हर गिरते क़दम पर माँ,मैंने संभलना सीखा


मेरे सपनों की रखवाली कर 

माँ रातों की नींद तुमने त्यागी

अपना निवाला देकर मुझको

भूखी, प्यासी तुम कई रात जागी


तुमने न सिर्फ जन्म दिया, 

बल्कि जीना भी सिखाया है

हर दर्द और डर को

अपने आँचल मे छुपाया है


माँ, तुम सिर्फ एक शब्द नहीं

एक पूरी किताब हो

संघर्षों की गाथा मे माँ तुम एक विश्वास हो


इस धरा पर ईश्वर ने

एक सच्ची मूर्त बनाई

माँ के वजूद मे ही तो

ईश्वर की परछाई समाई

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