Wednesday, April 23, 2025

"मज़हब के नाम पर"

ये पहली बार नहीं, 

आतंकियों ने जब 

बेगुनाहों को मारा है। 

क्या, वो कोई पैगंबर है?

निर्दोषों को जो 

मौत के घाट उतारा है।

ये कायराना हरकत है,जो 

निहत्थों पर वार किया

मज़हब का रखवाला बन 

मज़हब को अपने शर्मसार किया। 

कौन सी शिक्षा मज़हब की तुम

धरा पर फैलाने आए थे। 

निर्दोषों को मारा तुमने 

कलंक मज़हब पर लगाए थे।

माना खुदा के बंदे हो तुम 

खुदा के परवदिगार हो 

क्या, अपने मज़हब के तुम 

इकलौते पहरेदार हो?

शांतिदूत हो तुम खुदा के 

क्या, मज़हब तुम्हारा हथियार है?

मौत के घाट निर्दोषों को उतारना 

क्या, तुम्हारा व्यपार है?


     


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