Wednesday, January 22, 2025

एक अज़नबी जो मिल के गया

 एक अज़नबी जो  मिल के   गया

मुरझाया फूल, फिर खिल सा गया


दिल  लगाने की  कला मे माहिर  है, वो

मिला तो, जैसे मिश्री जैसा घुल सा गया



गुलाब  के खिले  हुए काँटों को

उस  राह  मे  मसल  सा  गया


गुजरा जिस राह से वो मुसाफिर 

चश्म - ए - चराग़ जल सा गया


पाकीज़ा पैगाम लेकर आया है,अज़नबी

अपरिचित,चश्म-ओ-चिराग़  बन सा गया


भूपेंद्र रावत

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