एक अज़नबी जो मिल के गया
मुरझाया फूल, फिर खिल सा गया
दिल लगाने की कला मे माहिर है, वो
मिला तो, जैसे मिश्री जैसा घुल सा गया
गुलाब के खिले हुए काँटों को
उस राह मे मसल सा गया
गुजरा जिस राह से वो मुसाफिर
चश्म - ए - चराग़ जल सा गया
पाकीज़ा पैगाम लेकर आया है,अज़नबी
अपरिचित,चश्म-ओ-चिराग़ बन सा गया
भूपेंद्र रावत
Waah Bhupendar sir waah. Lajawab💯
ReplyDelete👌👌
ReplyDelete👍👍
ReplyDeleteNice sir 👍🏼👍🏼
ReplyDeleteWooww Awesome 👍
ReplyDeleteNice 👌🏻👌🏻
ReplyDeleteGazab
ReplyDeleteWahhh 👏👏👏👏
ReplyDeleteSacchi lines bhut achi hai bhai ji
ReplyDeleteWah👍🏻👍🏻
ReplyDeleteNice👏👏👍👍👍
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