नाटक : मोबाइल का जादू
पात्र:
- मम्मी
- पापा
- रवि (बेटा)
कथावाचक (Narrator)
दृश्य 1: सुबह का घर का दृश्य
सुबह का समय है। मम्मी रसोई में काम करने जा रही हैं और रवि पढ़ने बैठा है। लेकिन आज कुछ अलग होने वाला है...
मम्मी (धीरे, प्यार से):
बेटा रवि, तुम पढ़ लो। मैं तब तक रसोई का काम कर लेती हूँ।
रवि (खुश होकर):
ठीक है मम्मी, आप जल्दी से काम खत्म कर लेना, फिर मैं आपसे सवाल पूछूँगा।
(रवि किताब लेकर पढ़ने लगता है। मम्मी काम शुरू करने की जगह मोबाइल उठा लेती हैं और स्क्रॉल करने लगती हैं। कुछ मज़ेदार रील देखकर हँसती हैं।)
मम्मी (हँसते हुए):
अरे वाह! कितना प्यारा डांस किया बच्चे ने... एक और वीडियो देखती हूँ।
मम्मी रसोई का काम भूल चुकी हैं, और मोबाइल का जादू उन पर चढ़ चुका है!
(थोड़ी देर बाद रवि आता है।)
रवि (धीरे):
मम्मी, काम हो गया आपका?
मम्मी (थोड़ी घबराई):
अरे बेटा, कौन सा काम?
रवि (मुस्कराते हुए):
वही जो आप बोल रही थीं — “बेटा, तुम पढ़ लो, मैं रसोई का काम कर लेती हूँ।”
मैं तो पढ़ भी चुका, पर आप अभी तक फोन में हैं।
मम्मी (संकोच से):
अरे हाँ! मुझे तो पता ही नहीं चला कि कितना समय निकल गया।
रवि (हल्के तंज के साथ):
मम्मी, अगर मैं ऐसा करता, तो आप क्या कहतीं?
मम्मी (हँसते हुए):
सच में बेटा, गलती हमारी है। अब फोन रखती हूँ और काम करती हूँ।
दृश्य 2: पापा का कमरा
(रवि पापा के कमरे में आता है। पापा कुर्सी पर बैठकर फोन चला रहे हैं — हेडफ़ोन लगाए, मुस्कुरा रहे हैं।)
रवि :
पापा, क्या कर रहे हैं आप?
पापा (फोन से नज़र हटाए बिना):
बस बेटा, ऑफिस का थोड़ा काम देख रहा हूँ।
रवि :
सच में पापा? क्योंकि मैंने सुना — “हा हा हा, क्या डायलॉग मारा हीरो ने!”
पापा (संकोच से फोन नीचे रखते हुए):
अरे हाँ बेटा, गलती हो गई। मैं भी ज़्यादा फोन में खो गया था।
रवि :
पापा, अगर मैं होता तो आप कहते — “रवि, फोन रखो और पढ़ाई करो!”
पापा :
बिलकुल सही कहा बेटे ने। आज तो तुमने हमें आईना दिखा दिया।
दृश्य 3: परिवार का एक साथ बैठना
मम्मी:
आज से हम सब मिलकर तय करेंगे — खाना खाते समय और परिवार के साथ रहते समय कोई मोबाइल नहीं।
पापा:
हाँ, और रोज़ कुछ समय “नो मोबाइल टाइम” रहेगा।
रवि (खुश होकर):
और उस समय हम सब मिलकर बातें करेंगे, खेलेंगे, या कहानी सुनेंगे।
मोबाइल ज़रूरी है, लेकिन परिवार और अपने काम उससे ज़्यादा ज़रूरी हैं।
मोबाइल का जादू तभी अच्छा है, जब हम उसे सही समय पर और सही काम के लिए इस्तेमाल करें।
अंतिम संवाद (सभी एक साथ, हाथ उठाकर):
“मोबाइल हमारा साथी है,
लेकिन उसका गुलाम नहीं!”
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