अच्छी आदतें निर्माण में अभिभावकों की भूमिका
— बच्चे वही बनते हैं जो वे अपने घर में देखते हैं
अभिभावक हमेशा चाहते हैं कि उनके बच्चे अच्छे गुणों वाले, सभ्य, जिम्मेदार और समाज के योग्य नागरिक बनें। वे यह भी उम्मीद करते हैं कि बच्चे भविष्य में आने वाली चुनौतियों का सामना मजबूती से कर सकें और स्वयं को सुरक्षित रख सकें। लेकिन यह सोचने वाली बात है कि क्या यह सब बिना अभिभावकों के सहयोग और मार्गदर्शन के संभव है? इसका उत्तर स्पष्ट रूप से—नहीं है।
बच्चा एक कोरा पन्ना होता है
हर बच्चा जन्म के समय एक कोरे पन्ने की तरह होता है। उस पन्ने पर कैसी बातें लिखी जाएँगी, किस प्रकार की आदतें और व्यवहार उसमें विकसित किए जाएँगे—यह बहुत हद तक अभिभावकों पर निर्भर करता है।
हालाँकि यह भी सच है कि बच्चे अपने आस-पास के वातावरण से बहुत कुछ सीखते हैं, लेकिन घर उनके मूल संस्कारों की पहली पाठशाला होता है।
बच्चों को रोकना समाधान नहीं, समझाना आवश्यक है
आज के समय में बच्चों को हर जगह जाने या हर चीज़ देखने से रोक पाना संभव नहीं है। परंतु सही समय पर सही बातों को समझाकर हम उन्हें उन आदतों से बचा सकते हैं जो उनके व्यवहार और व्यक्तित्व पर गलत प्रभाव डाल सकती हैं।
सिर्फ परिणाम बताना काफी नहीं होता—उन्हें परिणाम + उससे बचने के तरीके दोनों बताने चाहिए।
पहले अभिभावक स्वयं आदर्श बनें
यह सुनिश्चित करना बहुत आवश्यक है कि जिस आदत के बारे में अभिभावक अपने बच्चों को समझा रहे हैं, वे स्वयं उस आदत से दूर रहें।
अक्सर देखने में आता है कि:
अभिभावक बच्चों से बार-बार कहते हैं—“पढ़ाई करो”, लेकिन स्वयं किताबें नहीं पढ़ते।
बच्चे को फोन से दूर रहने की सलाह देते हैं, लेकिन खुद घंटों मोबाइल में व्यस्त रहते हैं।
ऐसी स्थितियों में बच्चे यह सोचते हैं कि जो काम बड़े कर रहे हैं, वही सही है। यदि अभिभावक स्वयं ही अच्छी आदतों को नहीं अपनाएँगे, तो बच्चों में अच्छी आदतें कैसे विकसित होंगी?
बच्चे उदाहरण से सीखते हैं, निर्देश से नहीं
यह याद रखने की ज़रूरत है कि बच्चे वही सीखते हैं जो वे देखते हैं, न कि जो वे सुनते हैं।
वही पौधा सही दिशा में बढ़ता है जिसकी देखभाल माली सही ढंग से करता है।
इसी प्रकार बच्चे भी तभी आदर्श बनते हैं जब अभिभावक स्वयं आदर्श प्रस्तुत करें।
यदि हम चाहते हैं कि बच्चे अच्छे नागरिक बनें, जीवन की चुनौतियों को समझदारी से संभालें और सही रास्ता चुनें, तो पहले हमें—अभिभावकों को—अपने व्यवहार, आदतों और दिनचर्या को सुधारना होगा।
बच्चों के सपनों को पंख देने के लिए पहले हमें अपना आकाश साफ करना होगा।
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