Friday, September 26, 2025

कहानी – जिम्मेदारी का महत्व

 कहानी – जिम्मेदारी का महत्व


एक छोटा बच्चा था। वह बहुत होशियार और समझदार था। किसी को उससे कोई शिकायत नहीं थी। लंबे समय बाद उसके दादाजी गाँव से उनके घर आए। दादाजी को देखकर बच्चा बहुत खुश हुआ, क्योंकि अब उसके पास खेलने और बातें करने वाला साथी मिल गया था। अब उसके दिन बोरिंग नहीं, बल्कि खुशी और उत्साह से बीतने लगे।


लेकिन दादाजी ने कुछ ही दिनों में घर का माहौल ध्यान से देखा। उन्हें महसूस हुआ कि बच्चे की बातें उसके माता-पिता अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। मम्मी-पापा एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर अपने कर्तव्य से बचते रहते थे। यह देखकर दादाजी चुप रहे, पर मन में उन्होंने परिवार को एक सीख देने का निश्चय किया।


एक दिन खाने की मेज़ पर सब बैठे थे। दादाजी ने पोते से कहा—

“बेटा, कल कुछ गमले और पौधे ले आना। घर पर मेरा समय अच्छे से कट जाएगा और हमें भी एक अच्छा काम करने को मिलेगा।”


अगले दिन पौधे आ गए। दादाजी ने प्रतियोगिता का सुझाव दिया। एक गमले की जिम्मेदारी दादाजी और पोते ने मिलकर ली, जबकि दूसरे गमले की जिम्मेदारी मम्मी-पापा को दी गई।


दादाजी और पोता रोज़ पौधे को पानी देते, उसकी देखभाल करते। धीरे-धीरे उनका पौधा हरा-भरा और सुंदर हो गया। दूसरी ओर, मम्मी-पापा अपनी जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालते रहे। परिणामस्वरूप उनका पौधा कुछ ही दिनों में सूख गया।


निर्धारित दिन पर दोनों पौधों की तुलना हुई। दादाजी और पोते का पौधा हरा-भरा था, जबकि मम्मी-पापा का पौधा केवल एक सूखी टहनी बनकर रह गया।


तभी दादाजी ने गंभीर स्वर में कहा—

“बेटा, समय सबके पास बराबर होता है। फर्क सिर्फ़ इतना है कि हम उसका उपयोग कैसे करते हैं। जिस तरह तुम्हारी लापरवाही से यह पौधा सूख गया, उसी तरह यदि तुमने अपने बच्चे पर ध्यान नहीं दिया, तो एक दिन यह भी एक सूखी टहनी की तरह हो जाएगा। पैसे कमाने और समय की कमी का बहाना बनाकर तुम अपने कर्तव्यों से मुँह नहीं मोड़ सकते। बच्चा तुम्हारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।”


दादाजी की सीख सुनकर मम्मी-पापा की आँखें खुल गईं। उन्होंने वचन दिया कि अब वे अपने बच्चे को समय देंगे और सच्चे मन से माता-पिता होने का कर्तव्य निभाएँगे।


शिक्षा:

समय और जिम्मेदारी का सही उपयोग ही जीवन को सुंदर बनाता है। बच्चे को प्यार, साथ और ध्यान देना माता-पिता का पहला कर्तव्य है।

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