मैंने देखा है, पहाड़ों को
और अपने अदने से
कदमो की मदद से
लांघा है, पहाड़ों की सबसे
ऊंची चोटियों को
धरातल से जुड़े हुए,
घाटी बनाते, तथा ऊबड़-खाबड़
रास्ते भी, नहीं तोड़ पाये
कभी जज़्बा मेरा
लेकिन, पहाड़ की सबसे ऊंची
चोंटीयां भी नहीं छू पाई
कभी आसमां को ,
बल्कि, उन्हें भी छिपना पड़ा
बादलों की ओंट मे
गुजरते वक़्त के साथ
कमजोर होते पहाड़
झुके, और भूस्खलन के रूप मे
आखिर मिल गए धरातल मे
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