Sunday, May 25, 2025

वो सुकून जो ख़्वाब में भी न मिला, उसी की तलाश में जिंदगी भर कारवाँ चला। हर एक मोड़ पर, चख कर स्वाद हार का, जिंदगी की दौड़ मे, दिल ने कभी हारा न हौसला।

वो सुकून जो ख़्वाब में भी न मिला,

उसी की तलाश में जिंदगी भर कारवाँ चला।


हर एक मोड़ पर, चख कर स्वाद हार का,

जिंदगी की दौड़ मे, कभी हारा न हौसला।



चाहा था जिसे, हर हाल मे, उसे पा भी लिया,

लेकिन, और पाने की चाहा ने जीना भूला दिया।

 

क़ैद थे जो ख्वाब  पिंजरों में वर्षों से,

कुछ ने उड़ान से लिखा फ़साना नया।


आसमान तो सबका था कहने को,

लेकिन, कुछ ने ही उड़ने का हौंसला भरा।


अब भी दिल में इक कोना प्यासा है,

सुकून की तलाश अब तक अधूरी भला।

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