शुरुआत हुई थी,
शून्य से
धीरे-धीरे बदलाव के साथ
विकसित होती गयी, दुनिया और
विकास की हर एक सीढ़ी पर
दस्तक दी, विनाश ने
धीरे-धीरे लुप्त होते गए
वन्य-जीव
और उनकी
अस्थियों को रखा गया
संग्रहालय मे
वृक्ष काटने की श्रंखला मे
लुप्त होते गए जंगल
अस्तित्व मे आई
"मानव सभ्यता" और
मानव बस्तियां,
समय के साथ होते बदलाव मे
जो नहीं कर सकें समायोजन
धीरे-धीरे वो होते गए लुप्त
शेष रह गयी
जो मानव प्रजातियां
उसे नाम दिया गया
"होमो सेपयंस" और
उनके वंशज
हर एक बदलाव और
मानव प्रजातियों
के दस्तावेजों को
पुन: रखा गया
संग्रहालयों मे
लेकिन फिर से शून्य होती
दुनिया के दस्तावेजों
के लिए कौन
बनाएगा "संग्रहालय"
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