Tuesday, February 11, 2025

पुरुष जो मंडराते रहे भौरों की तरह हर एक स्त्री पर

पुरुष जो मंडराते रहे 

भौरों की तरह 

हर एक स्त्री पर, 

उनकी नज़रे चिपकी रहती है 

स्त्री की हर अदा पर 



वे स्त्री के पास मंडराते है 

जैसे भौरें  फूलों के आसपास,

उनकी बातें मीठी और मधुर होती है 

लेकिन उनके इरादे क्या होते है?

क्या उनके इरादे होते है, प्रेम के? 

क्या वे स्त्री का सम्मान करते है?

या बस अपने स्वार्थ के लिए

या  फिर शारीरिक संतुष्टि के लिए 

करते है उनका उपयोग ?


स्त्री को सावधान रहना चाहिए 

ऐसे पुरुषों से 

जो मंडराते रहते है

उनके इर्द-गिर्द 

उनकी नज़रों मे 

छुपा होता है 

एक खतरा जो 

पहुंचा सकता है

नुकसान स्त्री को। 


 

भूपेंद्र रावत 

4 comments:

Chapter: Democratic Rights – (Class 9 Civics)

 Chapter: Democratic Rights – (Class 9 Civics) 1. Life Without Rights Rights are what make us free and equal in a democracy. Without rights,...