दाग़ और गलती
हमारी ज़िंदगी भी उन कपड़ों की तरह है जिनमें यदि एक छोटा-सा दाग़ लग जाए तो पूरा कपड़ा बेकार सा लगने लगता है। ठीक इसी तरह जीवन में की गई छोटी-सी गलती भी कभी-कभी हमारे पूरे जीवन पर भारी पड़ जाती है।
एक दिन कक्षा में मैडम बच्चों को समझा रही थीं—
"बच्चों! हमें जीवन के हर कदम पर सोच-समझकर चलना चाहिए। बचपन में शरारतें करना स्वाभाविक है, लेकिन कभी-कभी अनजाने में की गई शरारतें हमें उम्रभर का पछतावा दे सकती हैं।"
लेकिन बच्चे तो बच्चे थे। उनकी नटखट बातें और खेलकूद में डूबा मन इन बातों को हल्के में ले रहा था।
कुछ ही दिनों बाद स्कूल में एक विशेष कार्यक्रम रखा गया। सभी बच्चे उत्साह से भरे हुए थे और सुंदर-सुंदर नए कपड़े पहनकर आए थे। कार्यक्रम शुरू हुआ, सब बहुत आनंद ले रहे थे। तभी कुछ बच्चों के कपड़ों पर दाग़ लग गए। उनकी पोशाक बिगड़ गई और वह बहुत भद्दी लगने लगी।
अब उनके पास न तो बदलने के लिए दूसरा कपड़ा था और न ही नया लाने का समय। मजबूर होकर वे बच्चे बीच कार्यक्रम से ही घर लौट गए। उनके दोस्तों ने मज़े किए, लेकिन वे उदासी और अफसोस में रह गए।
अगले दिन जब सभी बच्चे स्कूल पहुँचे तो मैडम ने मुस्कराते हुए पूछा—
"तो बच्चों! कल का कार्यक्रम कैसा रहा? सबने मज़े किए?"
जवाब सुनते ही कुछ बच्चों के चेहरे उतर गए। मैडम उनकी उदासी पहचान गईं और पूछने लगीं—
"क्या हुआ बच्चों? तुम इतने चुप और उदास क्यों हो?"
बच्चों ने धीरे-धीरे कहा—
"मैडम, कल हमारी प्यारी पोशाक खराब हो गई थी। उस पर दाग़ लग गया था और हमें बीच में ही घर जाना पड़ा। इसलिए हम मज़ा नहीं कर पाए।"
मैडम ने मुस्कराते हुए कहा—
"याद है बच्चों, मैंने कुछ दिन पहले तुम्हें बताया था कि जीवन में कोई ऐसी गलती मत करना जिसका दाग़ मिटाया न जा सके। जैसे कपड़े पर लगे छोटे-से दाग़ ने तुम्हें पूरे कार्यक्रम से वंचित कर दिया, वैसे ही जीवन में हुई एक गलती कभी-कभी हमारे पूरे भविष्य को बिगाड़ देती है। उस गलती का पछतावा हमें उम्रभर सताता रहता है। इसलिए हर कदम सोच-समझकर बढ़ाना चाहिए।"
इस बार बच्चों ने मैडम की बात को गंभीरता से समझा। वे सबक पा चुके थे। उन्होंने मैडम से वादा किया कि वे आगे से ऐसी कोई गलती नहीं करेंगे जिससे उनका भविष्य बिगड़ जाए।
बच्चे प्रसन्न थे, क्योंकि उन्होंने जीवन का एक महत्वपूर्ण सत्य सीख लिया था।
Good story for kids
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