सेवानिवृत हो गए
बापू जी अपने कार्य से
परंतु वह नहीं हुए सेवानिवृत
अपने कर्तव्य और जिम्मेदारियों से
कर्तव्यों के बोझ तले
बापू जी के कन्धों मे है जिम्मेदारियां,
बूढ़े हो चुके माता - पिता की
वर्षों पूर्व ब्याह के लायी गयी माँ की
और अपने सपने त्याग कर
बच्चों के सपनों को पंख देने की
अपने लिए नहीं मिला समय
बापू जी को कभी
चेहरे की शिकन पर उन्होंने
ओढ़ ली हंसी की चादर
जिम्मेदारियों के दरिया मे डूबे हुए
बापू जी ने नहीं होने दिया
एहसास गहराइयों का
उन्होने जीवन मे
कभी नहीं मानी हार
बापू जी हमेशा खड़े रहे
पहाड़ की तरह
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