एक कक्षा में शिक्षक बच्चों को कहानी सुना रहे हैं।
शिक्षक: बच्चों, आज मैं तुम्हें एक बहुत बड़ी घटना की कहानी सुनाने जा रहा हूँ—दूसरे विश्व युद्ध की।
छात्रा अंजली: सर, क्या ये वही युद्ध है जिसमें हिटलर था?
शिक्षक: बिल्कुल सही अंजली। लेकिन उससे पहले हमें पहले विश्व युद्ध के बारे में जानना होगा। 1914 से 1918 तक पहला बड़ा युद्ध हुआ था। उसमें जर्मनी हार गया। हारने के बाद वहाँ के लोग बहुत परेशान हो गए।
छात्र रोहित: सर, क्यों परेशान हुए?
शिक्षक: क्योंकि हार के बाद जर्मनी को एक समझौता करना पड़ा जिसे वर्साय की संधि कहते हैं। इस संधि में जर्मनी से बहुत पैसा माँगा गया और कई सख्त नियम थोपे गए।
छात्रा नेहा: सर, क्या सब लोग चुपचाप मान गए?
शिक्षक: नहीं नेहा, जर्मनी के लोग खुश नहीं थे। इसी बीच एक नया नेता आया—एडॉल्फ हिटलर। उसने कहा, "मैं जर्मनी को फिर से ताकतवर बनाऊँगा।"
छात्र आदित्य: और लोग उसकी बात मान गए?
शिक्षक: हाँ, बहुत से लोग मान गए। लेकिन हिटलर की सोच बहुत गलत थी। उसने कहा कि सिर्फ "शुद्ध जर्मन" ही देश में रहेंगे। उसने यहूदियों और अन्य समुदायों को सताना शुरू कर दिया।
छात्रा सिया: सर, यह तो बहुत बुरा है!
शिक्षक: बिल्कुल। नफरत से कभी सुख नहीं मिलता। हिटलर ने युद्ध भी छेड़ दिया। 1939 में उसने पोलैंड पर हमला किया और दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया।
छात्र आरव: सर, क्या सारे देश युद्ध में शामिल हो गए?
शिक्षक: धीरे-धीरे हाँ। इंग्लैंड, फ्रांस, रूस और बाद में अमेरिका भी शामिल हो गया। यह युद्ध बहुत भयानक था। लाखों लोग मारे गए।
छात्रा अंजली: सर, अमेरिका ने क्या किया?
शिक्षक: युद्ध खत्म करने के लिए अमेरिका ने जापान के शहर हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिरा दिए। यह हमला इतना भयानक था कि दुनिया काँप गई।
छात्र रोहित: और हिटलर का क्या हुआ?
शिक्षक: हिटलर हार गया। नाज़ीवाद की विचारधारा खत्म हो गई। उसके अत्याचारों का अंत हुआ और जर्मनी में फिर से लोकतंत्र की शुरुआत हुई।
छात्रा नेहा: तो सर, हमें इस कहानी से क्या सीख मिलती है?
शिक्षक (मुस्कुराते हुए): यही कि नफरत और हिंसा से केवल विनाश होता है। सच्ची ताकत भाईचारे, शांति और इंसानियत में है।
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