NEP का मतलब है National Education Policy (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) है। इस शिक्षा नीति की घोषणा भारत सरकार द्वारा 29 जुलाई 2020 को की गयी थी। 1986 की शिक्षा नीति के स्थान पर एनईपी 2020 शिक्षा नीति को लाया गया। एनईपी 2020 का मुख्य उद्देश्य देश की शिक्षा प्रणाली को दिशा और रूपरेखा प्रदान करने के साथ शिक्षा को अधिक समावेशी, लचीला और गुणवत्तापूर्ण बनाना है, ताकि छात्रों को 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुसार तैयार किया जा सके।
- मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) ने डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक कमिटी बनाई थी.
- इस कमिटी ने मई 2019 में सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए एनईपी का ड्राफ़्ट सौंपा था.
2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) की मुख्य विशेषताएं:
शिक्षा का प्रारंभिक ढांचा:
5+3+3+4 का संरचना मॉडल:
5 साल: फाउंडेशनल स्टेज (प्रारंभिक बाल शिक्षा और कक्षा 1-2)
3 साल: प्रिपरेटरी स्टेज (कक्षा 3-5)
3 साल: मिडिल स्टेज (कक्षा 6-8)
4 साल: सेकेंडरी स्टेज (कक्षा 9-12)
बहुभाषी शिक्षा:
प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा या स्थानीय भाषा में पढ़ाने पर जोर।
तीन-भाषा फॉर्मूला: क्षेत्रीय भाषा, हिंदी और अंग्रेज़ी।
कौशल विकास और व्यावसायिक शिक्षा:
कक्षा 6 से ही व्यावसायिक शिक्षा और इंटर्नशिप के अवसर।
हायर एजुकेशन में सुधार:
स्नातक पाठ्यक्रम 3 या 4 साल के होंगे, मल्टी-एंट्री और मल्टी-एग्जिट विकल्प के साथ।
एक नई नियामक संस्था: HECI (Higher Education Commission of India) स्थापित की जाएगी।
डिजिटल शिक्षा:
ऑनलाइन शिक्षा को प्रोत्साहन और डिजिटल संसाधनों का विकास।
शिक्षकों के लिए सुधार:
शिक्षक प्रशिक्षण में सुधार और उनकी गुणवत्ता को बढ़ावा देना।
अन्य महत्वपूर्ण पहल:
राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र - PARAKH की स्थापना, जो छात्रों के मूल्यांकन को सुधारने में मदद करेगा।
बोर्ड परीक्षाओं में सुधार: रटने के बजाय समझ और विश्लेषणात्मक कौशल पर जोर।
- NEP 2020 की खासियत
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की खासियतें इसे भारत की शिक्षा प्रणाली में एक क्रांतिकारी बदलाव के रूप में प्रस्तुत करती हैं। इसकी मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
1. नया संरचना मॉडल (5+3+3+4):
- पुरानी 10+2 प्रणाली को बदलकर 5+3+3+4 मॉडल लागू किया गया है:
- 5 साल: फाउंडेशनल स्टेज (बालवाटिका, कक्षा 1-2)
- 3 साल: प्रिपरेटरी स्टेज (कक्षा 3-5)
- 3 साल: मिडिल स्टेज (कक्षा 6-8)
- 4 साल: सेकेंडरी स्टेज (कक्षा 9-12)
• इस मॉडल का उद्देश्य बच्चों के सीखने के तरीके और मानसिक विकास के अनुरूप पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियों को तैयार करना है।
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2. मातृभाषा में शिक्षा पर जोर:
• प्राथमिक स्तर (कक्षा 5 तक, यदि संभव हो तो कक्षा 8 तक) में मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाने पर जोर।
• इससे बच्चों की समझने की क्षमता और संज्ञानात्मक विकास में सुधार की उम्मीद है।
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3. व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास:
• कक्षा 6 से व्यावसायिक शिक्षा और इंटर्नशिप के अवसर।
• बच्चों में व्यावहारिक कौशल और रोजगार के लिए तैयार करने पर फोकस।
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4. फ्लेक्सिबल और मल्टी-एंट्री, मल्टी-एग्जिट सिस्टम:
- उच्च शिक्षा में छात्र किसी भी स्तर पर प्रवेश या निकास ले सकते हैं:
- 1 साल: सर्टिफिकेट
- 2 साल: डिप्लोमा
- 3 साल: बैचलर डिग्री
- 4 साल: रिसर्च के साथ बैचलर डिग्री
• इससे छात्रों को अपने करियर की दिशा बदलने और अपनी रुचियों के अनुसार कोर्स चुनने की स्वतंत्रता मिलती है।
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5. बोर्ड परीक्षाओं में सुधार:
• बोर्ड परीक्षाओं का उद्देश्य अब केवल रट्टा लगाने की बजाय समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता को परखना है।
• छात्रों को तनाव से मुक्त करने के लिए, बोर्ड परीक्षाओं को आसान और मॉड्यूलर बनाने की योजना।
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6. डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा:
• ऑनलाइन शिक्षा को प्रोत्साहन और डिजिटल संसाधनों का विकास।
• ई-लर्निंग के लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाना।
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7. शिक्षक प्रशिक्षण में सुधार:
• शिक्षकों के लिए 4 वर्षीय इंटीग्रेटेड B.Ed. कोर्स अनिवार्य।
• शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार और उन्हें आधुनिक शिक्षण विधियों में प्रशिक्षित करना।
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8. उच्च शिक्षा में सुधार:
• एक नई नियामक संस्था: HECI (Higher Education Commission of India) बनाई जाएगी, जो UGC और AICTE को एकीकृत करेगी।
• अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (NRF) की स्थापना।
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9. समग्र (Holistic) शिक्षा और बहुविषयी दृष्टिकोण:
• छात्रों को कला, विज्ञान, खेल, व्यावसायिक विषयों का चुनाव करने की आज़ादी।
• विषयों के बीच कठोर विभाजन को समाप्त किया गया है, जिससे छात्र अपनी रुचियों के अनुसार विषय चुन सकते हैं।
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10. मूल्यांकन में सुधार (PARAKH):
• राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र - PARAKH की स्थापना, जो एक व्यापक और निरंतर मूल्यांकन प्रणाली को लागू करेगा।
• छात्रों के समग्र विकास को ध्यान में रखते हुए उनकी आलोचनात्मक सोच, रचनात्मकता और समस्या- समाधान कौशल का आकलन किया जाएगा।
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NEP 2020 की खासियतें क्यों महत्वपूर्ण हैं?
• यह नीति छात्रों को 21वीं सदी के कौशल से लैस करने के लिए डिज़ाइन की गई है।
• रटने वाली पढ़ाई को हटाकर समझ आधारित और व्यावहारिक ज्ञान को प्राथमिकता दी गई है।
• यह भारत को वैश्विक शिक्षा मानकों के अनुरूप बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को भारत की शिक्षा प्रणाली में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है। यह पिछली राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 (जिसे 1992 में संशोधित किया गया था) से कई मामलों में अलग और अधिक उन्नत है।
मुख्य अंतर NEP 2020 बनाम NEP 1986:
1. संरचना में बदलाव:
पुरानी नीति (1986/1992):
- 10+2 मॉडल:
- 10 साल की स्कूली शिक्षा (प्राथमिक से माध्यमिक)
- 2 साल की सीनियर सेकेंडरी (11वीं और 12वीं)
नई नीति (NEP 2020):
- 5+3+3+4 मॉडल:
- 5 साल: फाउंडेशनल स्टेज (बालवाटिका, कक्षा 1-2)
- 3 साल: प्रिपरेटरी स्टेज (कक्षा 3-5)
- 3 साल: मिडिल स्टेज (कक्षा 6-8)
- 4 साल: सेकेंडरी स्टेज (कक्षा 9-12)
• यह मॉडल बच्चों के मनोवैज्ञानिक और संज्ञानात्मक विकास को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।
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2. भाषा नीति:
पुरानी नीति:
• त्रिभाषा फार्मूला था, लेकिन इसे सख्ती से लागू नहीं किया गया।
• अंग्रेज़ी पर अधिक जोर था, विशेषकर माध्यमिक और उच्च शिक्षा में।
नई नीति:
• मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में प्राथमिक शिक्षा देने पर जोर।
• त्रिभाषा फॉर्मूला को लचीलेपन के साथ लागू किया गया है (मातृभाषा, हिंदी, अंग्रेज़ी)।
• विदेशी भाषाओं को भी माध्यमिक स्तर पर वैकल्पिक विषय के रूप में पेश करने का प्रावधान।
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3. बोर्ड परीक्षाओं में सुधार:
पुरानी नीति:
• रटने और याद करने पर आधारित मूल्यांकन प्रणाली।
• परीक्षा-उन्मुख और तनावपूर्ण वातावरण।
नई नीति:
• बोर्ड परीक्षाओं को समझ, विश्लेषणात्मक क्षमता और सोचने की योग्यता पर केंद्रित किया गया है।
• मॉड्यूलर परीक्षा प्रणाली: छात्र सेमेस्टर के आधार पर भी परीक्षा दे सकते हैं।
• परीक्षा का उद्देश्य केवल अंक प्राप्त करना नहीं, बल्कि सीखने की गुणवत्ता को मापना है।
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4. विषयों का चयन और लचीलापन:
पुरानी नीति:
• विज्ञान, वाणिज्य और कला जैसे कड़े स्ट्रीम विभाजन।
• छात्रों को एक निश्चित स्ट्रीम का चुनाव करना होता था।
नई नीति:
• स्ट्रीम का लचीलापन: छात्र विज्ञान, कला, वाणिज्य और व्यावसायिक विषयों को एक साथ चुन सकते हैं।
• बहुविषयी दृष्टिकोण को अपनाया गया है, जिससे छात्र अपनी रुचि के अनुसार विषयों को संयोजित कर सकते हैं।
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5. व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास:
पुरानी नीति:
• व्यावसायिक शिक्षा को मुख्यधारा से अलग माना जाता था।
• व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए बहुत कम अवसर।
नई नीति:
• कक्षा 6 से ही व्यावसायिक शिक्षा और इंटर्नशिप के अवसर।
• कौशल विकास पर जोर, जिससे छात्र रोजगार के लिए तैयार हो सकें।
• कोडिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, और आधुनिक तकनीक से संबंधित विषय शामिल किए गए हैं।
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6. उच्च शिक्षा में सुधार:
पुरानी नीति:
• कठोर तीन वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम।
• UGC और AICTE जैसी अलग-अलग नियामक संस्थाएं।
नई नीति:
- मल्टी-एंट्री और मल्टी-एग्जिट सिस्टम:
- 1 साल: सर्टिफिकेट
- 2 साल: डिप्लोमा
- 3 साल: बैचलर डिग्री
- 4 साल: रिसर्च के साथ बैचलर डिग्री
• एकल नियामक निकाय: HECI (Higher Education Commission of India), जो UGC और AICTE को मिलाकर बनाया जाएगा।
• राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (NRF) की स्थापना, अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए।
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7. डिजिटल शिक्षा और तकनीकी उपयोग:
पुरानी नीति:
• तकनीक का सीमित उपयोग, ई-लर्निंग पर ज्यादा जोर नहीं।
नई नीति:
• ऑनलाइन और डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा।
• डिजिटल सामग्री विकसित करने और इसे दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुंचाने पर जोर।
• AI, मशीन लर्निंग जैसे आधुनिक तकनीकों को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।
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8. शिक्षक प्रशिक्षण और गुणवत्ता:
पुरानी नीति:
• शिक्षक प्रशिक्षण और उनकी गुणवत्ता में सुधार के लिए कम प्रावधान।
नई नीति:
• शिक्षकों के लिए 4 वर्षीय इंटीग्रेटेड B.Ed. कोर्स अनिवार्य।
• निरंतर प्रोफेशनल डेवलपमेंट (CPD) पर जोर।
• शिक्षकों के लिए आधुनिक शिक्षण विधियों का प्रशिक्षण।
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9. मूल्यांकन प्रणाली में बदलाव:
पुरानी नीति:
• परीक्षा-उन्मुख और अंक आधारित मूल्यांकन।
नई नीति:
• राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र - PARAKH की स्थापना।
• समग्र मूल्यांकन प्रणाली: जिसमें सोचने की क्षमता, विश्लेषण, रचनात्मकता और समस्या-समाधान कौशल को महत्व दिया गया है।
• होलिस्टिक रिपोर्ट कार्ड, जिसमें शैक्षणिक प्रदर्शन के साथ-साथ सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों में भी मूल्यांकन होगा।
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निष्कर्ष:
• NEP 2020 में शिक्षा को अधिक लचीला, समावेशी और समग्र बनाने का प्रयास किया गया है।
• मूल्य आधारित, अनुभवात्मक और कौशल केंद्रित शिक्षा पर जोर दिया गया है।
• वैश्विक मानकों के अनुसार शिक्षा प्रणाली को ढालने की कोशिश की गई है।
Kya Secondary specialisation wale bacho ko alag se masters krne zaroorat pdegi PGT bnne ke liye?
ReplyDeleteYes sir you need to do master in specific subject to become PGT.
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