Wednesday, February 5, 2025

मात-पिता, बच्चों के व्यवहार मे सकारात्मक परिवर्तन कैसे लाएं

उम्र बढ़ने के साथ-साथ बच्चों के व्यवहार मे कई तरह के परिवर्तन होते है/और होना स्वाभाविक भी है। इनमे से कुछ परिवर्तन सकारात्मक तो कुछ नकारात्मक होते है। अक्सर यह देखा जाता है कि माता-पिता के द्वारा इन परिवर्तनों को इग्नोर कर दिया जाता है/या फिर सिरियस नहीं लिया जाता है। उन्हें लगता है कि अभी बच्चा छोटा है, और समय के साथ आदतों या व्यवहार ठीक हो जाएगा। लेकिन कई बार होता इसके उल्टा है। अगर सही समय मे हस्तक्षेप नहीं किया जाये तो एक दिन का व्यवहार उसकी आदत बन जाता है और भविष्य मे एक समस्या बन जाता/सकता है। 




एक बढ़ती हुई उम्र के बच्चे को अक्सर नहीं पता होता कि उसके अंदर/शरीर मे हो रहे परिवर्तन के साथ किस तरह सामंजसय बैठाना है और ऐसा होने के पीछे क्या कारण है। इस उम्र मे उसे नहीं मालूम होता है कि उसके लिए क्या सही है और क्या गलत। ऐसी स्थिति मे बच्चे कई बार गलत तरह की एक्टिविटी करने लग जाते है, या फिर उनसे जुड़ जाते है, और धीरे धीरे उनका शरीर उन सभी एक्टिविटी को आदि बन जाता है। और जब तक माता-पिता को बच्चों कि उन सभी एक्टिविटी के बारे मे  पता चलता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। क्योंकि बच्चे का शरीर और उसके अंदर के हार्मोन, जो कि अब पूर्ण रूप से उन सभी क्रियाओं (एक्टिविटी) के शिकार/आदि हो चुके है। ऐसी स्थिति मे बच्चा चाहकर भी उनसे अपना पीछा नहीं छूटा पाता है। 

माता-पिता जिन्होने समय रहते उचित कदम नहीं लिया और अपने बच्चों की छोटी छोटी गलतियों को इग्नोर कर दिया या फिर उन्हें सिरियस नहीं लिया। समय गुजर जाने के पश्चात, उनके पास  समाधान के नाम पर होता है, बच्चों को डांटना, ताने मारना, शारीरिक दंड देना या फिर अपनी किस्मत को कोसना। 

अक्सर बच्चों को जन्म दे देने तक ही माता-पिता की ज़िम्मेदारी पूरी नहीं जाती है। जन्म देने के पश्चात बच्चों के अंदर अच्छी आदतों का निर्माण करना समय समय पर उनका उचित मार्गदर्शन/परामर्श करना भी माता-पिता की जिम्म्दारियों मे सर्वप्रथम शामिल है।  बच्चों के अंदर अच्छी आदतों का निर्माण करना या उसके व्यवहार मे परिवर्तन करना किसी एक की ज़िम्मेदारी नहीं है और ना ही अपनी ज़िम्मेदारी से विमुख होकर किसी एक पर थोपना भी उचित नहीं है। बल्कि दोनों की समान भागीदारी से ही बच्चों बच्चों के व्यवहार मे सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है। अब ऐसे मे माता-पिता क्या करें कि जिससे उनके बच्चे के व्यवहार मे सकारात्मक परिवर्तन के साथ वह  रिसपोनसीबल बन जाए। 

माता-पिता अपने बच्चों कि बातों को इग्नोर ना करें:- बच्चों के प्रति रिसपोनसीबल बने और यह समझे कि वह आप दोनों कि ज़िम्मेदारी है। उनकी हर बात के लिए जवाबदेही आपकी ही बनती है। उनके जितने भी संदेह है वो आपके साथ शेयर नहीं करेगा तो किसके साथ करेगा। आपका इस तरह का व्यवहार बच्चों मे आत्मविश्वास तो बढ़ाता ही है, साथ मे उनको रिसपोनसीबल भी बनाता है। अगर आपको लगता है किसी कारणवश आप अपने बच्चे कि बाते नहीं सुन पाये तो आप बाद मे जाकर अपने बच्चे उसके संदेह पूछ सकते है। 

समस्या का सही समय मे हस्तक्षेप करें :- माता-पिता कई बार बच्चों के असमान्य व्यवहार को अनदेखा कर देते है या फिर उसे सिरियस नहीं लेते। माता-पिता का इस तरह का लापरवाह रवैया समस्या बन सकता/जाता है। ऐसे मे माता-पिता दोनों को ही रिस्पोन्सिबिलिटी बनती है कि अपने बच्चों कि परेशानी/समस्या को ट्रैक करें और समय रहते उचित हस्तक्षेप और समाधान करें। 
 
बच्चों के मार्गदर्शक/परामर्शदाता बने:- माता-पिता ही अपने बच्चों के सबसे अच्छे मार्गदर्शक और परामर्शदाता बन सकते है। बच्चों की समस्या को सुनकर उनका उचित मार्गदर्शन करें। अपने बच्चों को अकेला महसूस ना होने दे।  उन्हे बिलकुल भी ऐसा प्रतीत ना होने दे कि कोई भी उनकी बाते नहीं सुनता। 

अपने बच्चों के प्रति अच्छे श्रोता बने:-  जब आप अपने बच्चों कि बाते ध्यान से सुनेंगे तो वह भी आपकी बातें ध्यान से सुनेगा। अगर आपने उनके प्रति इग्नोरेंस रवैया अपनाएंगे तो उनका रवैया भी आपके प्रति ऐसा ही बन जाएगा। क्योंकि बच्चों का व्यवहार आपके व्यवहार का प्रतिबिंब होता है। 

बच्चों के दोस्त बने:- बच्चों के साथ उसके हम उम्र की तरह पेश आए ना कि किसी "हिटलर" कि तरह अगर आप एक डोमिनटर कि तरह पेश आएंगे तो वह आपसे डरेगा और अपने मन कि बात आपको नहीं बताएगा।  

बच्चों की गलती मे उन्हे प्यार से समझाए ना कि डांट और मार से:- अगर आप बच्चों से उपेक्षा करते हो कि बच्चा कोई गलती ना करें तो आप बिलकुल गलत है, गलतिया करना सीखने कि एक प्रक्रिया है। अगर हम कुछ नया करेंगे नहीं तो सीखेंगे कैसे। 
अगर बच्चों ने कोई गलती जाने या अंजाने मे करी भी है तो, इसका मतलब यह बिलकुल नहीं कि हम बिना कारण जाने उन्हे डांटना या मारना शुरू कर दे। सबसे पहले बच्चों से कारण पूछ कर उसे बताया जाए कि इसके परिणाम उसके लिए घातक भी हो सकते है। 

भूपेंद्र रावत  

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