"विविध दिव्यांगता: चुनौतियाँ, समाधान और समावेशी समाज की दिशा में कदम"
विविध दिव्यांगता क्या है?
विविध दिव्यांगता (Multiple Disabilities) का तात्पर्य उन स्थितियों से है, जहाँ किसी व्यक्ति को दो या अधिक प्रकार की दिव्यांगता एक साथ होती हैं। उदाहरणस्वरूप, कोई बच्चा मानसिक मंदता के साथ-साथ शारीरिक असमर्थता से भी ग्रस्त हो सकता है। ऐसी स्थिति में न केवल देखभाल की जटिलता बढ़ जाती है, बल्कि शिक्षा, सामाजिक समावेशन और आत्मनिर्भरता के रास्ते भी कठिन हो जाते हैं।
अन्य प्रकार की जटिल बीमारियाँ और स्थितियाँ
1. थैलेसेमिया:- यह एक अनुवांशिक रक्त विकार है, जिसमें शरीर पर्याप्त स्वस्थ हीमोग्लोबिन नहीं बना पाता। जिसकी वजह से रोगी को बार-बार रक्त चढ़ाने के आवश्यकता होती है।
2. हीमोफीलिया:- यह एक रक्तस्राव विकार है, जिसमें खून का थक्का बनने में कठिनाई होती है। हल्की चोट भी गंभीर रक्तस्राव का कारण बन सकती है।
3. सिकल सेल रोग (Sickle Cell Disease):- यह भी एक आनुवंशिक रक्त विकार है, जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं अर्द्धचंद्राकार हो जाती हैं और रक्त संचार में बाधा उत्पन्न करती हैं।
4. क्रोनिक न्यूरोलॉजिकल कंडीशंस:-
- मल्टीपल स्क्लेरोसिस (MS): तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाला रोग, जिससे शरीर का नियंत्रण धीरे-धीरे कम होता है।
- पार्किंसन रोग: गति व संतुलन से संबंधित न्यूरोलॉजिकल समस्या, जिससे व्यक्ति की शारीरिक गतिशीलता में कमी आती है।
स्पीच एंड लैंग्वेज डिसएबिलिटी (बोलने और भाषा की अक्षमता):- बोलने में कठिनाई (Speech Disability) और भाषा को समझने, व्यक्त करने में परेशानी (Language Disability) को सम्मिलित रूप से स्पीच एंड लैंग्वेज डिसएबिलिटी कहा जाता है।
मुख्य कारण:
- जन्मजात न्यूरोलॉजिकल समस्या
- सुनने की क्षमता में कमी
- ब्रेन स्ट्रोक या ट्रॉमा
- मानसिक मंदता
- ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर
- स्पीच-लैंग्वेज थेरेपिस्ट द्वारा मूल्यांकन
- श्रवण परीक्षण
- न्यूरोलॉजिकल परीक्षण
- विकासात्मक मूल्यांकन (Developmental Assessment)
- स्पीच थेरेपी: सही उच्चारण, शब्द निर्माण और संप्रेषण कौशल विकसित करने की प्रक्रिया
- सुनने की मशीन (Hearing Aids)
- AAC डिवाइसेज़ (Alternative and Augmentative Communication) जैसे पिक्चर बोर्ड, स्पीच ऐप
- विशेष शिक्षकों की मदद से शिक्षा
- समूह चिकित्सा और परामर्श
सरकार द्वारा उठाए गए कदम:
- RPWD Act, 2016 (दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम): विविध दिव्यांगताओं को कानूनी मान्यता
- UDID कार्ड: सभी दिव्यांगों के लिए एकीकृत पहचान
- स्वावलंबन योजना: उपकरण, ट्रेनिंग और स्वरोजगार के लिए वित्तीय सहायता
- दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (DEPwD) द्वारा विभिन्न पुनर्वास सेवाएं
- अंतर्राष्ट्रीय दिवस (3 दिसंबर): जागरूकता और सहभागिता के लिए
- विशेष विद्यालय और समावेशी शिक्षा नीति
- समाज की भूमिका और समानता की दिशा में प्रयास:
- समावेशी सोच: हमें दिव्यांगों को सहानुभूति से नहीं, समान अधिकारों के नजरिये से देखना चाहिए।
- शिक्षा और प्रशिक्षण में समान अवसर देना
- सुलभ वातावरण (Accessible Environment) – जैसे रैंप, संकेत भाषा, ब्रेल बोर्ड आदि
- सकारात्मक व्यवहार व संवाद शैली
- स्वयंसेवी संगठनों और समाज की सक्रिय भूमिका
समाज मे समानता स्थापित करने के लिए विविध दिव्यांगता से पीड़ित व्यक्तियों को समाज में उचित सम्मान और समान अवसर मिलना अत्यंत आवश्यक है। इन जटिलताओं को केवल चिकित्सा से नहीं, बल्कि समाज के सहयोग, सरकार की नीतियों और जागरूकता से ही पूरी तरह से संबोधित किया जा सकता है। समाज, अभिभावक, सरकार, संस्थाओं आदि सभी को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि "कोई भी व्यक्ति अपनी अक्षमता के कारण पीछे न रह जाए।"
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