आज के युग में छात्रों के दिशाहीन होने के कारण एवं माता-पिता, समाज, विद्यालय और शिक्षक की भूमिका
छात्र ही देश का भविष्य है। लेकिन, वर्तमान पारिदृश्य में तकनीकी विकास, सामाजिक परिवर्तन, प्रतियोगी माहौल और अनेक प्रकार के distractions (विकर्षणों) के कारण छात्र अपने लक्ष्य और मूल्यों से भटकते जा रहे हैं। जीवन की दौड़ में सफलता प्राप्त करने का दबाव, परिवार की अपेक्षाएँ, और सामाजिक तुलना के चलते कई विद्यार्थी मानसिक तनाव और दिशाहीनता का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में विद्यार्थियों को दिशाहीन होने से बचाने और उनके भविष्य को संवारने के लिए माता-पिता, समाज, विद्यालय और शिक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो जाती है।
1. माता-पिता की भूमिका:
- माता-पिता बच्चों के पहले शिक्षक होते हैं। उनका व्यवहार, सोच और दृष्टिकोण बच्चों की मानसिकता को आकार देता है।
- उन्हें बच्चों की क्षमताओं और रुचियों को समझना चाहिए।
- संवाद के ज़रिए बच्चों के मन की बात जाननी चाहिए।
- अनुशासन और स्वतंत्रता में संतुलन बनाकर बच्चों का मार्गदर्शन करना चाहिए।
2. समाज की भूमिका:
- समाज का वातावरण भी बच्चों पर गहरा प्रभाव डालता है।
- एक स्वस्थ, नैतिक और प्रेरणादायक समाज ही छात्रों को सच्चे मार्ग पर ले जा सकता है।
- नकारात्मक प्रवृत्तियों जैसे नशा, अपराध या सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव से छात्रों को बचाना समाज की जिम्मेदारी है।
3. विद्यालय की भूमिका:
- विद्यालय केवल ज्ञान का केंद्र नहीं, बल्कि व्यक्तित्व निर्माण का स्थान है।
- विद्यालयों को विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास (शारीरिक, मानसिक, नैतिक) पर ध्यान देना चाहिए।
- उचित करियर मार्गदर्शन, काउंसलिंग और सकारात्मक प्रतियोगिता आवश्यक है।
4. शिक्षकों की भूमिका:
- शिक्षक छात्रों के आदर्श होते हैं।
- उन्हें विद्यार्थियों के मार्गदर्शक और प्रेरणास्त्रोत बनना चाहिए।
- प्रत्येक छात्र की कठिनाइयों को समझते हुए उचित सहायता प्रदान करनी चाहिए।
- नैतिक शिक्षा और मूल्यों का संचार करना शिक्षक की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।
छात्रों का दिशाहीन होना सामाजिक के साथ - साथ पारिवारिक चुनौती भी है, इस चुनौती को नज़र अंदाज नहीं किया जा सकता। इसका समाधान सभी की संयुक्त जिम्मेदारी से ही संभव है। माता-पिता, समाज, विद्यालय और शिक्षक – सभी को मिलकर सहयोगात्मक रूप से एक ऐसा वातावरण तैयार करना चाहिए, जो कि विद्यार्थियों के लिए एक सकारात्मक, प्रेरणादायक और सुरक्षित हो। ताकि छात्र आत्मविश्वास, उद्देश्य और मूल्यों से युक्त होकर जीवन की राह पर आगे बढ़ सकें।
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