गुस्सा और हमारे शरीर मे हार्मोन का संबंध
गुस्सा आना एक स्वाभाविक भावनात्मक प्रतिक्रिया है, जो किसी तनावपूर्ण (Stress), अप्रिय (Unpleasant) या चुनौतीपूर्ण(Challenging) परिस्थिति में उत्पन्न होती है। यह प्रतिक्रिया हमारे शरीर में कुछ विशेष हार्मोनों के स्राव (Flow) से नियंत्रित होती है। इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि वो कौन से हार्मोन है जो गुस्सा लाने के लिए जिम्मेदार होते है, और उन पर हम कैसे नियंत्रित कर सकते है।
क्रोध में कैटेकोलामाइन की भूमिका
क्रोध के दौरान, शरीर में कैटेकोलामाइन (Catecholamines) नामक हार्मोन और न्यूरोट्रांसमीटर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनमें मुख्य रूप से एपिनेफ्रिन (एड्रेनालिन), नॉरएपिनेफ्रिन (नॉरएड्रेनालिन), और डोपामाइन शामिल होते हैं।
सिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम (SNS) की सक्रियता
जब कोई व्यक्ति गुस्सा होता है, तो हाइपोथैलेमस सिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम (SNS) को सक्रिय (Active) करता है।
इससे एड्रेनल ग्लैंड (अधिवृक्क ग्रंथि) से एपिनेफ्रिन और नॉरएपिनेफ्रिन का स्राव (Flow) बढ़ जाता है।
हृदय गति और रक्तचाप में वृद्धि
एपिनेफ्रिन और नॉरएपिनेफ्रिन हृदय की धड़कन को तेज करते हैं और रक्तचाप बढ़ाते हैं, जिससे शरीर "लड़ाई या भागने" (fight-or-flight) के लिए तैयार हो जाता है।
मांसपेशियों में ऊर्जा की वृद्धि
कैटेकोलामाइन ग्लूकोज और फैटी एसिड को रिलीज़ कर मांसपेशियों को अधिक ऊर्जा प्रदान करते हैं, जिससे शरीर आक्रामक प्रतिक्रिया के लिए तैयार रहता है।
अमिगडाला (Amygdala) और भावनात्मक नियंत्रण
अमिगडाला मस्तिष्क का वह भाग है जो डर और गुस्से जैसी भावनाओं को नियंत्रित करता है।
डोपामाइन और नॉरएपिनेफ्रिन की उच्च मात्रा अमिगडाला की सक्रियता बढ़ाकर व्यक्ति को आक्रामक बना सकती है।
कॉर्टिसोल का सहयोग
इसे "स्ट्रेस हार्मोन" भी कहा जाता है। क्रोध के दौरान हाइपोथैलेमस-पिट्यूटरी-एड्रेनल (HPA) अक्ष सक्रिय हो जाता है, जिससे कॉर्टिसोल हार्मोन भी रिलीज़ होता है।
हालांकि, अगर क्रोध लंबे समय तक बना रहे तो कॉर्टिसोल तनाव, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग का कारण बन सकता है।
टेस्टोस्टेरोन (Testosterone):
यह हार्मोन मुख्य रूप से आक्रामकता और प्रभुत्व की भावना को बढ़ाता है। पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन अधिक मात्रा में पाया जाता है, इसलिए वे गुस्से की अधिक तीव्र प्रतिक्रिया दे सकते हैं।
गुस्से वाले हार्मोनों (जैसे एड्रेनालिन, नॉरएड्रेनालिन, कोर्टिसोल और टेस्टोस्टेरोन) को नियंत्रित करने के लिए कुछ प्रभावी तरीके अपनाए जा सकते हैं। ये तरीके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्तर पर संतुलन बनाने में मदद करते हैं।
गुस्से वाले हार्मोनों को नियंत्रित करने के उपाय
1. शारीरिक उपाय
✅ गहरी सांस लें
जब गुस्सा आए, तो नीचे दी गयी तकनीक को आप कुछ देर तक कर सकते है:
नाक से गहरी सांस लें।
सांस को रोककर रखें।
धीरे-धीरे मुंह से सांस छोड़ें।
ऊपर दी गयी तकनीक एड्रेनालिन और कोर्टिसोल जैसे हार्मोन को कम करने मे मदद कर सकता है और नर्वस सिस्टम को शांत करता है।
✅ योग और ध्यान करें
प्राणायाम (अनुलोम-विलोम, भ्रामरी) करने से नॉरएड्रेनालिन का संतुलन बना रहता है।
ध्यान (Meditation) करने से कोर्टिसोल का स्तर कम होता है, जिससे गुस्सा और तनाव कम होता है।
✅ व्यायाम करें
शारीरिक गतिविधि से एंडॉर्फिन (खुशी का हार्मोन) रिलीज होता है, जो गुस्से और तनाव को कम करता है।
रनिंग, स्विमिंग, डांसिंग, जिम या योग करें।
✅ संतुलित आहार लें
मैग्नीशियम और विटामिन B6 से भरपूर खाद्य पदार्थ (केला, बादाम, पालक) एड्रेनालिन के प्रभाव को कम करते हैं।
कैफीन, चीनी और जंक फूड से बचें, क्योंकि ये कोर्टिसोल और टेस्टोस्टेरोन को बढ़ाते हैं।
2. मानसिक उपाय
✅ सकारात्मक सोच अपनाएं
जब गुस्सा आए, तो स्वयं से प्रश्न करें:
क्या इस पर गुस्सा करना जरूरी है?
क्या यह समस्या का हल निकालेगा?
क्या इससे मेरा कोई फायदा होगा?
इस तरह की सोच एड्रेनालिन और टेस्टोस्टेरोन को नियंत्रित करने में मदद करती है।
✅ "ठहराव का नियम" (Pause Rule) अपनाएं
जब गुस्सा आए, तो 10 सेकंड तक रुकें और कोई प्रतिक्रिया न दें।
इस दौरान कुछ गहरी सांसें लें और स्थिति को तटस्थ रूप से देखने की कोशिश करें।
✅ ध्यान भटकाने की आदत डालें
गुस्से के समय खुद को किसी और गतिविधि में व्यस्त करें, जैसे पढ़ाई, म्यूजिक सुनना, पेंटिंग करना या टहलना।
3. भावनात्मक उपाय
✅ अपनी भावनाओं को सही तरीके से व्यक्त करें
गुस्से को दबाने के बजाय उसे शांत तरीके से व्यक्त करें।
डायरी में लिखें कि आपको क्या गुस्सा दिलाता है, इससे आपको समस्या की जड़ तक जाने में मदद मिलेगी।
✅ माफ़ करना सीखें
गुस्से का एक बड़ा कारण पुरानी बातें और कड़वी यादें होती हैं।
दूसरों को माफ करने से कोर्टिसोल का स्तर कम होता है और मन हल्का महसूस करता है।
✅ अच्छे लोगों के साथ समय बिताएं
सकारात्मक लोगों और परिवार के साथ समय बिताने से ऑक्सीटोसिन (खुशी का हार्मोन) बढ़ता है, जो गुस्से वाले हार्मोनों को कम करता है।
निष्कर्ष
गुस्सा आना स्वाभाविक है, लेकिन जब यह हद से बढ़ जाता है, तो हमारा ही दुश्मन बन जाता है और हमारे लिए नुकसानदायक हो सकता है। गुस्से के पीछे कई जैविक (Biological) कारण होते हैं, खासकर एड्रेनालिन, नॉरएड्रेनालिन, कोर्टिसोल और टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि हमे अपने गुस्से मे नियंत्रण नहीं कर सकते हम अपने जीवन मे सही तकनीकों और आदतों को अपनाकर अपने गुस्से को नियंत्रित कर सकते हैं और एक संतुलित जीवन जी सकते हैं।
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