Sunday, January 26, 2025

बच्चे का व्यवहार, माता-पिता के व्यवहार का प्रतिबिंब

15 वर्षों के शिक्षण के दौरान, अक्सर मैंने यह अनुभव किया है कि, आजकल के अधिकतर अभिभावकों द्वारा अपने बच्चों से शिकायत रहती है कि, उनका बच्चा उनकी बातें नहीं सुनता या फिर उन्हें इगनोर कर देता है। अपने से बड़ों के साथ उनका व्यवहार तथा बातचीत का तरीका सही नहीं है, वह दिनभर फोन चलाता रहता है या फिर खाना खाने मे आनाकानी करता है, आदि। इसके अतिरिक्त भी कई तरह के सोच रखने वाले  अभिभावकों से समय समय पर मिलना-जुलना  लगा रहता है और सभी कि राय या फिर शिकायत कहे आदि सुनने को मिलती रहती है। उनके पास बच्चों के व्यवहार से संबन्धित समस्याएँ तो अनगिनत रहती है लेकिन समाधान के नाम पर उनके पास होता है,एक तरह का डोमिनेटिंग बिहेवियर, उनका मानना है कि बच्चों को डांट या शारीरिक दंड इत्यादि से सुधारा जा सकता है। इसके अलावा समाधान के नाम पर अभिभावक अपने बच्चे कि तुलना उसके हम उम्र बच्चों से करने लगते है। वो ऐसा इसलिए करते है, क्योंकि शायद उन्हें लगता है कि इस तरह एक दूसरे से तुलना करके या फिर शारीरिक दंड आदि से  उनका बच्चा सुधार जाएगा या फिर मोटीवेट  होगा। लेकिन आज वर्तमान समय मे देखा गया है कि बच्चों के व्यवहार मे इसका नकारात्मक प्रभाव भी पड़ रहा है। और वह दिन प्रतिदिन पहले से और ज्यादा जिद्दी और अग्रेसिव हो रहे है। लेकिन ऐसे मे अभिभावक कों क्या करना चाहिए कि वह अपने बच्चों के व्यवहार मे सकारात्मक बदलाव ला सके। चलिए अब बात करते है कि कैसे अभिभावक अपने बच्चों के व्यवहार मे सकारात्मक बदलाव लाने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है, या निभा सकते है।




  • कोरे कागज के समान बच्चा :- हम सबको यह ज्ञात होना चाहिए कि बच्चे कोरे कागज के समान होते है।इसी पर आचार्य आर्जव सागर महाराज ने कहा कि बच्चे कोरे कागज के समान होते हैं। इस पर अच्छे संस्कार लिखें, क्योंकि संस्कार बचपन में ही होते हैं, न कि पचपन में। आचार्य श्री ने कहा कि बचपन में हृदय बड़ा कोमल होता है और कोमल हृदय को अच्छे संस्कारों की ओर सरलता से मोड़ा जा सकता है। 

  • एक बच्चे का व्यवहार अक्सर उनके माता-पिता के व्यवहार के प्रतिबिंब के रूप में कार्य करता है : - बहुत बार पेरेंट्स बच्चों को कुछ कहने से पहले सोचते नहीं और बच्चा समझकर कुछ भी कह देते हैं। ऐसे मे अभिभावकों को बड़ी सतर्कता से बच्चों के समक्ष पेश आना चाहिए।अक्सर एक बच्चा अपने चारों ओर जो देखता है। उसी के अनुरूप वह कार्य करना शुरू कर देता है और धीरे धीरे उसके व्यक्तित्व का निर्माण होने लगता है। 

  • अच्छी आदतों का निर्माण  : - कई अभिभावकों का यह प्रश्न होता है कि वह अपने बच्चों के अंदर अच्छी आदतों का निर्माण कैसे करें। तो सबसे पहले घर मे रह रहे बड़ों को इसकी शुरुआत खुद से करनी होगी।  क्योंकि माँ के पेट से बच्चा कुछ भी सीख कर नहीं आता है। वह अपने आस पास के वातावरण मे जो कुछ भी देखता है या फिर अब्ज़र्व करता है उसके अनुसार वह व्यवहार करना शुरू कर देता है। जैसा कि एक बच्चे को नहीं पता कि फोन का प्रयोग करना उसके लिए उचित है या अनुचित लेकिन वह बचपन से देखता आता है कि घर का हर एक सदस्य दिनभर फोन मे व्यस्त है। ऐसे मे बच्चे के अंदर भी फोन का प्रयोग करने कि जिज्ञासा उत्पन्न होने लगती है। और इस तरह घर मे रहने वाले बड़े लोगों के आदतों को अब्ज़र्व करते हुए उसके अंदर भी फोन चलाने या अनावश्यक प्रयोग करने कि आदत का निर्माण होने लगता है। 

  • दिनचर्या के कार्यों कि समय सीमा को करें निर्धारित :-  कई घरों मे अक्सर समय को लेकर सतर्क नहीं रहते है। उन्हें लगता है कि समय के साथ बच्चा सब कुछ सीख जाएगा लेकिन ऐसा होता नहीं है। इसके लिए हमें दिनचर्या के हर एक कार्य को लेकर अपने समय निर्धारित करना होता है। जिससे बच्चों को यह पता चल सकें कि किसी कार्य को करने का उचित समय और कितनी समय सीमा कितनी है।    

  • दूसरे बच्चों से तुलना न करें : - कई बार अभिभावक अपने बच्चों कि तुलना दुसरे बच्चों से करने लगते है जो कि बिलकुल भी उचित नहीं है। इससे उनके अंदर आत्मविश्वास कि कमी होने लगती है। उन्हे यह समझना जरूरी है कि विभिन्नताएं हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है और उसे हमे स्वीकार करना चाहिए। जिस तरह हमारे हाथ कि सारी अंगुलियाँ एक समान नहीं होती उसी तरह सभी बच्चे एक समान नहीं होते।  सबके बच्चों के अंदर विभिन्न योग्यताएं विधमान है। और हमारा कर्तव्य है कि हम उनके अंदर छिपी हुई योग्यताओं को पहचान कर उन्हें निखारे। 
इसके अतिरिक्त हमें बच्चों को अवसर देने चाहिए कि वह खुल कर अपनी परेशानी माता-पिता को बता सके तथा वह एक ऐसे माहौल का निर्माण करें कि बच्चा बेझिझक  अपने मन कि बात माता-पिता के सामने रख सकें। तथा बच्चों कि मानसिक,शारीरिक और उम्र आदि कि जरूरतों को  समझकर उचित  मार्गदर्शन देकर उनके आत्मविश्वास को बढ़ाया जा सकता है। 



भूपेंद्र रावत 

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