Friday, July 18, 2025

प्रसव के दौरान माँ और बच्चे को होने वाली परेशानियाँ

प्रसव के दौरान माँ और बच्चे को होने वाली परेशानियाँ

प्रसव (डिलीवरी) एक स्त्री के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण, भावनात्मक और संवेदनशील समय होता है। यह केवल एक शारीरिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि मानसिक, सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर भी बहुत गहरी भूमिका निभाती है। प्रसव के दौरान यदि उचित देखभाल, चिकित्सकीय सहायता और स्वच्छता का ध्यान न रखा जाए, तो माँ और नवजात शिशु – दोनों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

इस लेख की मदद से हम विस्तार से जानेंगे कि प्रसव के समय माँ और बच्चे को कौन-कौन सी परेशानियाँ हो सकती हैं और उनसे कैसे बचा जा सकता है।

माँ को होने वाली प्रमुख परेशानियाँ:

1. अत्यधिक रक्तस्राव (Postpartum Hemorrhage):

प्रसव के बाद अत्यधिक खून बहना माँ की जान के लिए खतरा बन सकता है, खासकर यदि समय पर रोकथाम न हो।

2. प्रसव पीड़ा में असामान्य देरी (Prolonged Labor):

जब प्रसव बहुत लंबा खिंचता है तो माँ थक जाती है और संक्रमण या सर्जरी की ज़रूरत बढ़ जाती है।

3. प्री-एक्लेम्पसिया (High Blood Pressure during Pregnancy):

यह स्थिति गर्भावस्था के अंतिम चरण या प्रसव के समय माँ के उच्च रक्तचाप और मूत्र में प्रोटीन की उपस्थिति से उत्पन्न होती है, जो माँ और शिशु दोनों के लिए जानलेवा हो सकती है।

4. संक्रमण (Infection):

गर्भाशय, योनि या ऑपरेशन स्थल पर संक्रमण होने की संभावना होती है यदि साफ-सफाई का ध्यान न रखा जाए।

5. मानसिक तनाव और भय:

पहली बार माँ बनने वाली महिलाएं अक्सर डर और घबराहट का अनुभव करती हैं, जिससे प्रसव की प्रक्रिया में और कठिनाई हो सकती है।

6. ऑपरेशन से जुड़ी जटिलताएँ (C-Section Complications):

यदि सिजेरियन डिलीवरी होती है, तो संक्रमण, रक्तस्राव, घाव न भरना जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।

बच्चे को होने वाली प्रमुख परेशानियाँ:

1. ऑक्सीजन की कमी (Birth Asphyxia):

अगर शिशु को प्रसव के दौरान पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती, तो मस्तिष्क को क्षति पहुँच सकती है, जिससे मानसिक या शारीरिक विकलांगता हो सकती है।

2. मेकोनियम एस्पिरेशन सिंड्रोम (MAS):

जब शिशु जन्म से पहले या दौरान अपने मल (meconium) को सांस के जरिए अंदर ले लेता है, तब यह स्थिति होती है जो फेफड़ों के लिए गंभीर हो सकती है।

3. कम वजन (Low Birth Weight):

ढाई किलो से कम वजन वाले शिशुओं में बीमारियों का खतरा अधिक होता है और उन्हें विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है।

4. जन्मजात दोष (Congenital Defects):

कुछ बच्चों को जन्म से ही दिल, फेफड़े, किडनी या मस्तिष्क से जुड़ी विकृतियाँ हो सकती हैं, जिनका समय रहते इलाज जरूरी है।

5. हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia):

बच्चे में रक्त शर्करा की कमी, विशेष रूप से डायबिटिक माँ के बच्चों में देखने को मिलती है, जो मस्तिष्क को नुकसान पहुँचा सकती है।

6. सेप्सिस (Neonatal Sepsis):

यह एक गंभीर संक्रमण है जो जन्म के कुछ घंटों या दिनों के भीतर हो सकता है। यदि इलाज में देरी हो, तो यह जानलेवा भी हो सकता है।

7. हाइपोथर्मिया (Hypothermia):

बच्चे का शरीर का तापमान सामान्य से नीचे चला जाना, विशेषकर समय से पहले जन्म लेने पर, खतरनाक हो सकता है।

8. ब्रेन हेमरेज (IVH):

समय से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं में मस्तिष्क में रक्तस्राव हो सकता है जिससे मानसिक विकास में रुकावट आ सकती है।

9. कंधे की अटकाव (Shoulder Dystocia):

जब शिशु का कंधा माँ की श्रोणि में फंस जाता है, तब उसकी नसों या हड्डियों को नुकसान हो सकता है।

10. Umbilical Cord Prolapse (गर्भनाल का पहले आ जाना):

अगर गर्भनाल शिशु से पहले बाहर आ जाए, तो शिशु को ऑक्सीजन मिलनी बंद हो सकती है और उसकी जान को खतरा हो सकता है।

 बचाव के उपाय और समाधान:

प्रसव पूर्व नियमित जाँच (Antenatal Check-ups):

समय-समय पर डॉक्टर से जाँच कराना माँ और बच्चे की सेहत को सुरक्षित रखने का पहला कदम है।

स्वस्थ आहार और जीवनशैली:

गर्भवती स्त्री को पौष्टिक भोजन, हल्का व्यायाम और भरपूर आराम करना चाहिए।

प्रशिक्षित डॉक्टर और स्टाफ की उपस्थिति:

प्रसव के समय केवल प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी की देखरेख में ही डिलीवरी कराना सुरक्षित होता है।

विशेष नवजात देखभाल इकाई (NICU):

कमजोर या बीमार नवजात शिशुओं के लिए अस्पतालों में गहन देखभाल इकाई होनी चाहिए।

स्तनपान की शीघ्र शुरुआत:

माँ का पहला दूध शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और संक्रमण से रक्षा करता है।

साफ-सफाई:

प्रसव स्थल, उपकरण और माँ की शारीरिक सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

मानसिक समर्थन और पारिवारिक सहयोग:

माँ को भावनात्मक सहारा देना उसके आत्मबल और सकारात्मक सोच को मजबूत बनाता है।

निष्कर्ष:

प्रसव जीवन की एक चमत्कारी प्रक्रिया के साथ माँ के लिए एक नया जीवन भी होता है, लेकिन इसके दौरान माँ और शिशु दोनों को कई प्रकार की जटिलताओं और खतरों का सामना करना पड़ सकता है। इन समस्याओं से बचने के लिए जागरूकता, समय पर चिकित्सकीय देखभाल और भावनात्मक सहयोग अत्यंत आवश्यक है। एक सुरक्षित प्रसव केवल एक स्वस्थ माँ और बच्चे को जन्म नहीं देता, बल्कि समाज में स्वास्थ्य और खुशहाली की नींव भी रखता है।

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