देशभर के सभी राज्यों मे बोर्ड
परीक्षा की शुरुआत होने वाली है। परीक्षा का यह समय छात्रों के साथ अभिभावक और
शिक्षक के लिए चुनौतीपूर्ण होता है। एक ओर जहां छात्रों के ऊपर उत्तीर्ण होने के
साथ अच्छे मार्क्स लाने का दबाव होता है, वही
दूसरी ओर शिक्षक और अभिभावक के ऊपर यह दबाव रहता है कि उनके छात्र और बच्चे अच्छा
प्रदर्शन करें। लेकिन परीक्षा से पूर्व छात्रों के मन मे कई तरह के प्रश्न आते है,
जिससे उनका नर्वस होना सवाभाविक है। इसके कारण उनका प्रदर्शन
प्रभावित हो सकता है। ऐसी स्थिति में अभिभावक और शिक्षक का दायित्व बनता है कि
छात्रों की मानसिक स्थिति को समझकर उचित मार्गदर्शन और काउन्सलिंग करें। जिससे उनके प्रदर्शन में किसी किसी तरह का
नकारात्मक प्रभाव ना पड़े और वे सकारात्मक सोच के साथ अपनी परीक्षाएं देकर सफल हो।
इसलिए बोर्ड परीक्षा के दौरान होने वाले तनाव को कम करने और अच्छे प्रदर्शन के लिए हम
छात्रों और अभिभावकों के लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स सांझा कर रहे है।
1. टाइम मैनेजमेंट : - परीक्षा समाप्त होने के बाद अक्सर कई बार छात्र यह कहते है कि कम समय होने के कारण या फिर लेंथी पेपर होने कि वजह से पेपर पूरा नहीं कर सकें। अक्सर ऐसा टाइम मैनेजमेंट ना होने कि वजह से होता है। क्योंकि कई बार छात्र किसी प्रश्न मे तय समय सीमा से अधिक समय व्यय कर देते है, जिसके कारण टाइम मैनेजमेंट बिगड़ जाता है और इसके कारण छात्रों का परिणाम प्रभावित होता है। ऐसे मे छात्रों को चाहिए कि वह परीक्षा से पूर्व लिमिटेड शब्दों और समय में आंसर लिखने की प्रैक्टिस करें। जितना हो सके बचे हुए समय में रिवीजन के साथ आंसर राइटिंग प्रैक्टिस करें। रोजाना प्रश्नों के उत्तर को लिखकर प्रैक्टिस करने की आदत डालें. इससे मेन एग्जाम के लिए खुद को अच्छे से तैयार कर पाएंगे। समय और शब्दों की सीमा का ध्यान रखना होगा। इससे फाइनल एग्जाम में कोई दिक्कत नहीं होगी और आप समय के हिसाब से प्रश्न पत्र हल कर सकेंगे।
2. सेंपल पेपर हल करें :- बोर्ड तथा पब्लिशर द्वारा पब्लिश किए गए विभिन्न विषयों के सेंपल पेपर्स को ठीक उसी तरह सॉल्व/अभ्याष करें, जैसे फाइनल एग्जाम दे रहे हों। इससे आप अपनी हैंड राइटिंग और टाइम मैनेजमेंट का आंकलन कर सकेंगे और समय रहते कमियों को दूर कर पाएंगे।
3.
ब्लू प्रिंट
के आधार पर तैयारी करें :- बोर्ड द्वारा कक्षा 10वीं एवं 12वीं के छात्रों के लिए ब्लू प्रिंट जारी
किया जाता है। उसकी सहायता से एग्जाम की तैयारी
करें। बोर्ड द्वारा निर्धारित पेपर का पैटर्न ब्लू प्रिंट के आधार पर ही आता है। अगर छात्र समझकर इसके अनुसार तैयारी करें तो परीक्षा
में उनको आसानी होगी.
4. टाइम टेबल के अनुरूप तैयारी :- सबसे पहले छात्रों के लिए जरूरी है कि परीक्षा के
अनुसार टाइम टेबल बनाकर तैयारी करें। सभी विषयों का एक टाइमटेबल बनाकर उसके हिसाब
से पढ़ाई करने कि आदत डालिए। क्योंकि टाइम-टेबल के साथ नियमित पढ़ाई करना, सफलता की पहली सीढ़ी मानी गई है। टाइम टेबल बनाते वक्त हर सब्जेक्ट के लिए
अपनी सुविधा अनुसार टाइम जरूर फिक्स करें।
5. हेल्दी खाना :- छात्रों को स्टडी के साथ खानपान हेल्दी रखने की भी सलाह दी जाती है। जिससे कि वह बीमार ना पड़ें क्योंकि परीक्षा के दौरान बीमार होना छात्रों के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है। ऐसे मे छात्रों को सलाह दी जाती है कि वह जंक फूड का सेवन ना करें उचित मात्र मे पानी पिए मॉर्निंग में फ्रूट्स और रात में स्टडी के साथ हल्का खाने खाएं, ताकि वह फ्रेश महसूस करें और आलस्य से दूर रहें।
6. अपने विचारों तथा भावनाओं को अपने ऊपर हावी ना होने दें :- परीक्षा के दिनों के दौरान हमारे मन में कई तरह के विचार उत्तपन होना या आना एक सावभाविक प्रक्रिया है। लेकिन इस दौरान हमें अपने विचारों और भावनाओं पर नियंत्रण करके उनको अपने ऊपर हावी नहीं होने देना है। क्योंकि इससे हमारा शरीर और दिमाग भी उसके अनुरूप कार्य करना शुरू कर देता है। जिसका प्रभाव हमारी परीक्षा पर पड़ सकता है।
अभिभावकों का दायित्व
1.
अभिभावकों कों सबसे पहले अपने
बच्चों कि योग्यता कों समझना जरूरी है। किसी दूसरे बच्चे से आकलन कर अधिक अंक लाने
का अनावश्यक दबाव से छात्रों अंदर नकारत्मक प्रभाव पड़ता है या पड़ सकता है, और इसके कारण छात्र योग्यता अनुसार उचित प्रदर्शन नहीं कर पाते। परीक्षा के
दौरान माता-पिता कों अपने बच्चों कों प्रेरित कर उनका आत्मविश्वास बढ़ाना चाहिए जिससे
कि उन्हे लगे कि उनके माता-पिता उनके साथ है।
2.
परीक्षा के दौरान माता-पिता
कों अपने बच्चों के सामने किसी तरह कि नाकारत्मक बातें नहीं करनी चाहिए। माता-पिता
कों अपने बच्चों से प्यार से सहज रूप से बातें करनी जरूरी होती है ऐसा ना हो कि उन्हें
किसी बात कों समझाने के लिए ऊंची आवाज, डांट कर या
फिर ताने मार कर उनसे बातें की जाएं।
3.
परीक्षा के दौरान अभिभावक
छात्रों कों परीक्षा केंद्र मे छोडने और लेने जाएं। हम ऐसा इसलिए कह रह है क्योंकि
परीक्षा का समय छत्रों के लिए एक कठिन परिस्थिति होती है। ऐसे मे उन्हे अकैडमिक सपोर्ट
के साथ इमोश्नल सपोर्ट की भी जरूरत होती है। इस दौरान अभिभावक उनके साथ अपने अनुभव
भी आप सांझा कर सकते हैं।
भूपेंद्र रावत
👍👏👏👏👏👍👍
ReplyDelete👌💯👍
ReplyDelete,👍👍👍
ReplyDeleteमहत्वपूर्ण आलेख
ReplyDeleteValuable article
ReplyDelete👍👍👍👍
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